राष्ट्रनिर्माण में सतगुरु सेवालाल महाराज जी का योगदान

सतगुरु सेवालाल महाराज जयंती विशेष. 

जन्म-15 फेब्रुवारी 1739. 

जन्म स्थल आनंतपुर, राज्य आंध्र प्रदेश.

     
वैसे तो हजारो वर्षो पुराना इतिहास रहा है गोर समाज का ? स्वभाव से व्यापारी व क्षत्रिय समाज है. घोडे, गोवंश पालन भी अभिन्न अंग है. गाय को माता यवं भगवान भगवान का रूप मानते है. गोर समाज अपने आप मे इतिहास है. भारत की पहचान है और शान भी है. भारत के हर राज्य मे इनकी उपलब्धता है. इमानदारी, स्वाभिमान, राष्ट्र, समाज के प्रति अपनापन होने के कारण सभी राज्यो मे इनको सन्मान मिला है. देश के विरुद्ध कभी नही बोलते. भुखे सोना पसंद करेंगे लेकीन देश से धोखा नही करेंगे ऐसी पहचान है.


श्री सेवालाल महाराज के दादाजी रामा नायक थे. समाज का जो नेतृत्व करते है उन्हे नायक शब्द प्रयोग से सन्मानित किया जाता है. रामा नायक के तीन पुत्र थे. खेमा नायक, हेमा नायक, भीमा नायक. रामा नायक जी 62 तांडा के नायक थे, जिसमे 5000 गोवंश थे. नायक और कारभारी ऐसे दो लोग समाज को दिशा निर्देश देने का कार्य करते है. रामा नायक के मृत्यू पश्चात उनके छोटे पुत्र भीमा नायक को समाज का मुखींया बनाया गया. भीमा नायक का विवाह धर्मणी से हुआ. समाज को पहाडियो मे रहने का अवसर मिलता रहा तो स्वाभाविक रूप से जडिबुट्टी अर्थात आयुर्वेद का ज्ञान था और उसपर विश्वास भी था. भीमा नायक जी ने जंगलो मे जाकर योगाभ्यास व वनौषधियों का लाभ लिया. माता जगदंबा का जाप किया. माँ जगदंबा के आशीर्वाद से भीमा नायक व माता धर्मणी को पुत्ररत्न प्राप्त हुआ.

वह ऐतिहासिक दिवस था 15 फेब्रुवारी 1739. समाज मे खुशी की लहर आ गयी. लोगो ने उत्सव मनाया. उस दिव्य पुत्र का नाम रखा गया सेवालाल. महाराज की बाते, विचार, दूरदृष्टी समाज पर प्रभाव जमाने लगी. इसी कारण लोगो ने उन्हे आपण नायक मान लिया. आगे जाकर यही नायक सतगुरु सेवालाल कहलाये.

सेवालाल जी महाराज को घोडेस्वारी पसंद थी. वह शुद्ध शाकाहारी भोजन करते थे. किसीं भी प्राणी की हत्या उन्हे अमान्य थी. समाज मे चली आ रही बली प्रथा से वे संतुष्ट नही थे. वे श्रद्धा मे विश्वास रखते थे पर अंधश्रद्धा पसंद नही थे. कही समाजसेवा से ध्यान न हट जाये, इसलिये आजन्म अविवाहित रहे. समाज मे चलती आ रही कुप्रथाओ से समाज को  सावधान किया. बाल विवाह का विरोध किया.

महाराज जी ने अपने समाज को भारतीय संस्कृती से दूर जाने नही दिया. भारतीय संस्कृती का सन्मान और जागरण किया. संघटित रहने का आदेश दिया. उनके पूर्वजो ने भी जान पे खेलकर अपनी पहचान सुरक्षित रखी थी वही कार्य महाराज जी ने भी किया. उनका अंग्रेज व मुघलो से संघर्ष हुआ पर महाराज ने किसीं का भी धर्मांतरण होने नही दिया. निजाम के अन्यायकारी जकात को महाराज जी ने विरोध किया.  बताया जाता है कि, महाराज जी के 900 बहादुर सिपाहियों ने नवाब गुलाम खान की की 25 हजार सैनिको को धूल चटाई थी. 

महाराज जी ने संघटन का ऐसा मंत्र दिया कि सालो बीत गए लेकिन गोर समाज भुला नही. इस बात का प्रमाण यह है की गोर समाज आज भी संघटित रहता है. वर्तमान में समाज शिक्षा और  विकास की ओर गतिशील दिखाई देता है. सामाजिक सद्भाव और सहजीवन तो समाज का आदर्श है. यह सब महाराज जी का दिया हुआ मंत्र है. जीसका पालन आज भी होते दिखाई देता है.

महाराज कहते थे, "निसर्ग से प्रेम करो, पशु पक्षीयो की रक्षा करो, अपनो  से स्नेह करो, शाकाहारी बनो, स्वच्छ रहो, श्रद्धा रखो, मातृभूमी की रक्षा मे समर्पित होने की इच्छा शक्ती भी महाराज ने समाज को दी. मुघलो को सबक सीखाया. मुघल सैनिको ने एक लडकी को दुष्कर्म की इच्छा से पकडना चाहा. लडकी जान बचा कर भाग रही थी. जान बचाने की गुहार लगा रही थी. महाराज उसी रास्ते से जा रहे थे. लडकी उनके पिछे आकर खडी हो गयी. महाराज ने अपनी तलवार से उनपर प्रहार किया और तलवार सिने मे घुसा दी. और बोले किसीं भी स्त्री की ओर बुरी नजर से देखा भी तो शरीर को दो भागो मे खंडित कर दिये जाओगे. महाराज जी ने मुघलो को जकात भी देने से इन्कार कर दिया. उनके एक इशारे पर समाज कुछ भी कर सकता है इस बात से डर के मुघल भी कुछ नही कर सके. इसलिए गोर समाज न कभी मुघल के सामने झुका न कभी अंग्रेजो के सामने. सतगुरु सेवालाल महाराज जी का योगदान भारत की स्वतंत्रता में और 'स्व'त्व का जागरण होने में बहुत अहम रहा है.
   
महाराज जी ने कभी किसीं जाती का विरोध नही किया. सबके साथ प्रामाणिकता से बिना भेदभाव समरसपूर्ण जीवन व्यतीत करने का संदेश दिया है. उनका संदेश पूर्ण विश्व के लिये भी मानवता का परिचय करानेवाला है. केवल समाज ही नही पूर्ण देश के काम आये ऐसे विचार सतगुरु सेवालाल महाराज ने प्रस्तुत किये है.

सतगुरु सेवालाल महाराज के जयंती अवसरपर शत शत नमन..!

- ऍड. काशिनाथ मो. राठोड, उमरगा
मो. 7038841444

© विश्व संवाद केंद्र, देवगीरी 

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5 टिप्पण्या

Unknown म्हणाले…
आज संत सेवालाल महाराज ह्या लेखामुळे समजले 🙏🏻🚩
Unknown म्हणाले…
खूप सुंदर लेख सरजी
Unknown म्हणाले…
खुपच सुंदर लेखन.
सेवालाल महाराजांच्या प्रेरणादायी व्यक्तिमत्वावर विस्तृत लेखन करून, त्या विचारांवर प्रकाश टाकून तरुणांसाठी आपण स्तुत्य कार्य केलं आहे!
अनेक तरुणांना ही माहिती मिळत नाही! खुप खुप धन्यवाद! जय सेवालाल!जय हिंद!
Unknown म्हणाले…
संत श्री सेवालाल म हाराज की की बहुत ही सुंदर जाणकारी मिली. आपने तो गागर मे सागर भर दिया
Unknown म्हणाले…
सभी का धन्यवाद