निर्गुण भक्ती के उपासक संत सिंगाजी महाराज



मध्यप्रदेश के निमाड़ की धरा पर जन्मे तपस्वी संत सिंगाजी महाराज का २९ अप्रैल, २०२३, वैशाख शुद्ध नवमी को ५०४ वाँ जन्मदिवस है। सद्गुरु संत सिंगाजी महाराज के इस जन्मदिवस पर पूरे भारत और मध्यप्रदेश के हिंदू समाज के साथ साथ पूरे गवली यादव समाज को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हैं। 
मध्यप्रदेश स्थित बडवानी जिले के खजुरी ग्राम में गवली समाज के एक परिवार में बाबा संत सिंगाजी महाराज का जन्म हुआ। माता- गऊर बाई, पिता- भीमाजी, बहन- क्रष्णा बाई और भाई- लिंम्बाजी हुए। संत सिंगाजी महाराज का जन्म विक्रम संवत् १५७६, वैशाख सुदी नवमी, दिन- बुधवार के दिन हुआ था। भगवान नारायण से शर्त के साथ श्रृंगी ऋषि ने कलियुग में अवतार लिया और धरती पर पाप को कम कर, धर्म की स्थापना की। निर्गुण भक्ति के उपासक संत सिंगाजी महाराज कबीर जी के समकालीन संत हैं। संत सिंगाजी महाराज गौ-पालक भी थे। 
सिंगाजी महाराज ने अनेकों पदो और भजनो की रचना की। जिनको लिपिबद्ध उनके शिष्य दल्लुदास बाबा ने १४०० पदो में की। सिंगाजी महाराज समाधी लेने के ४६३ वर्ष बाद भी बिना देह और बिना किसी पहचान के निराकार रूप में पुजा रहे हैं। संत सिंगाजी महाराज का वास एक दिपक की ज्योति में होता है। सिंगाजी महाराज के गुरु मनरंग स्वामी हुए। 

संत सिंगाजी महाराज गृहस्थी संत हुये। उनकि पत्नी का नाम यशोदाबाई था। सिंगाजी महाराज के चार पुत्र और एक पुत्री हुयी। सिंगाजी महाराज ने मात्र ४१ वर्ष की आयु में बाबा ने पुरा इतिहास रच दिया और विक्रम संवत- १६१६ में मध्यप्रदेश स्थित खंडवा जिले के पिपल्या ग्राम जो आज "सिंगाजी" के नाम से विख्यात है, उसी सिंगाजी धाम में जिवीत समाधि ले ली और जाने की एक अलग राह तैयार करी। 
सिंगाजी महाराज ज्योति स्वरूप है, आज भी हम सबके बीच मौजुद है। गुरु महाराज ने समाधि लेने के बाद भी अनेक चमत्कार दिये। बाबा ने अपने भक्तों को दर्शन भी दिये। प्रत्यक्ष रुप में मान्यता है, कि जिस दिन से गुरु महाराज ने समाधि ली, उस दिन से जन्म स्थली खजुरी और समाधि स्थली पिपल्या में आज भी अखंड ज्योत जल रही है। 
उसी अखंड ज्योति में सिंगाजी महाराज का वास होता है। मान्यता है, कि शरद पूर्णिमा के दिन पिपल्या में नाम की महिमा लगती हैं, बाबा के नाम से मेला लगता है। उस मेले में बाबा के कहे अनुसार भगवान स्वयंम आते हैं। गुरु महाराज की कई लीलाएं हम आज भी देखते है। सनातन सभ्यता और समाज को सही दिशादर्शन में सिंगाजी बाबा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। आप समस्त संत सिंगाजी भक्तों से निवेदन है, की बाबा संत सिंगाजी महाराज ने हम सभी को भक्ति मार्ग दिखाया, उसी भक्ति मार्ग पर हम चलते रहे, राष्ट्रभक्ति में लीन रहें, यंही आज सद्गुरु संत सिंगाजी के जन्मोत्सव पर बाबा को आदरांजली होगी। फिर से एक बार पूरी गवली समाज और भारत की जनता को बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं देते हैं। जय सिंगाजी।। 

– जितेंद्र गवली, रावेर


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